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77 वां वार्षिक निरंकारी संत समागम 16 नवम्बर सेमध्यप्रदेश से हजारों निरंकारी भक्त हरियाणा के समालखा जायेंगे

देवास। संत निरंकारी मिशन के 77 वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियां शुरू हो गई है। नवम्बर की 16, 17 और 18 तारीख को होने वाले अंर्तराष्ट्रीय संत समागम की तैयारियों के लिए देशभर से निरंकारी सेवादार भक्त जुटते हैं और निस्वार्थ भाव से समर्पित होकर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। मीडिया सहायक विनोद गज्जर ने बताया कि हरियाणा के गन्नौर पानीपत के बीच, समालखा के हलदाना बॉर्डर स्थित संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल में होने वाले संत समागम की भूमि को तैयार करने की सेवाओं का विधिवत शुभारंभ गतदिनों सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी के कर-कमलों द्वारा किया गया। उज्जैन सहित मध्यप्रदेश से हजारों निरंकारी भक्त समागम में भागीदारी हेतु समालखा जायेंगे। समागम सेवा के शुभ अवसर पर विशाल सत्संग को संबोधित करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि इस संसार में अनेक प्रकार के लोग रहते हैं जिनकी अलग-अलग भाषा, वेश-भूषा, खान-पान, जाति, धर्म और संस्कृति आदि हैं। पर इतनी विभिन्नताओं के रहते भी, हम सब में एक बात सामान्य है कि हम सब इंसान हैं। कैसा भी हमारा रंग हो, वेश हो, देश हो या खान-पान, सबकी रगों में एक सा रक्त बहता है और सब एक जैसी सांस लेते हैं। हम सब परमात्मा की संतान हैं। इसी भाव को अनेक संतों ने अलग-अलग समय और स्थानों पर अपनी भाषा और शैली में ‘ समस्त संसार – एक परिवार ’ के सन्देश के रूप में व्यक्त किया। पिछले लगभग 95 वर्षों से संत निरंकारी मिशन भी इसी सन्देश को न केवल प्रेषित कर रहा है, बल्कि अनेक सत्संग और समागम का नियमित रूप से आयोजित कर, इस सन्देश का जीवंत उदाहरण भी पेश कर रहा है। सतगुरु माता जी ने फरमाया कि सेवा करते समय सेवा को भेदभाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए अपितु सदैव निरिच्छत, निष्काम भाव से ही की जानी चाहिए। सेवा तभी वरदान साबित होती है जब उसमें कोई किंतु, परंतु नहीं होता, उसकी कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए कि समागम के दौरान तथा समागम के समाप्त होने तक ही सेवा करनी है, बल्कि अगले समागम तक भी सेवा का यही जज्बा बरकरार रहना चाहिए। यह तो निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। सेवा सदैव सेवा भाव से युक्त होकर ही करनी चाहिए फिर चाहे हम शारीरिक रूप से अक्षम हो या असमर्थ हो सेवा परवान होती है क्योंकि वह सेवा भावना से युक्त होती है। राजकुमार गंगवानी ने बताया कि निरंकारी संत समागम, जिसकी प्रतीक्षा हर भक्त वर्ष भर करते हैं एक ऐसा दिव्य उत्सव है जहाँ मानवता, असीम प्रेम, असीम करुणा, असीम विश्वास और असीम समर्पण के भाव को असीम परमात्मा के ज्ञान का आधार देते हुए सुशोभित करती है। मानवता के इस उत्सव में हर धर्म-प्रेमी का स्वागत है। इस वर्ष के समागम का विषय है – विस्तार, असीम की ओर। 600 एकड़ में फैले विशाल समागम स्थल पर लाखों संतों के लिए रहने, खाने-पीने, स्वास्थ्य, और आने-जाने की व्यवस्थाएं की जाती हैं। इसके लिए भक्तजन निष्काम भाव से एक महीने पूर्व से ही सेवा में जुट जाते हैं। निरंकारी मिशन के लाखों भक्त 77 वें संत समागम में भाग लेकर मानवता के महाकुम्भ का हिस्सा बनने जा रहे हैं। जहां देश-विदेश से आने वाले भक्त सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन दर्शन प्राप्त करेंगे और सत्संग की शिक्षाओं से अपने मन को उज्जवल बनाने का प्रयास करेंगे।

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