श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम में स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज का जन्म शताब्दी महोत्सव प्रारंभ, कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय शिव महापुराण कथा प्रारंभ
देवास। मनुष्य जीवन प्रभु कृपा से मिला है, जिसका एकमात्र उद्देश्य भगवान की भक्ति करना है और इस भवसागर से पार जाना है। परंतु मनुष्य संसार में आकर सुखो के पीछे भागता है तो पूरा जीवन गवा देता है। मनुष्य को चाहिए कि समय निकालकर निरंतर भगवान की भक्ति करे। अपने जीवन का कल्याण करे। भगवान शिव भाग्य को बदलने का सामर्थय रखते है। इसलिए मनुष्य को भगवान शिव की आराधना करना चाहिए। उक्त उद्गार श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम में पं. पू. गुरूदेव ब्रह्मलीन श्री स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज की जन्म शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित त्रि-दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के शुभारंभ अवसर पर पं. धर्मेन्द्र जी उपाध्याय ने कहे। जन्म शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार को कलश यात्रा के साथ शिव महापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। कलश यात्रा नारायण कुटी आश्रम से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए पुन: प्रारम्भिक स्थल पर पहुंचकर सम्पन्न हुई। यात्रा में बैण्ड, ढोल व रथ पर सवार गुरू महाराज आकर्षण का केन्द्र थे। 9 जनवरी तक शिव महापुराण कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक होगी। आज 8 जनवरी को प्रात: 6.30 से 8.30 बजे तक सामुहिक गुरूगीता पाठ व पादुका दुग्धाभिषेक, प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक स्वामी मृत्युंजय तीर्थ व स्वामी शंकर चैतन्य तीर्थ भजन, सायंकालीन आरती एवं रात्रि 9 से 11 बजे तक रायपुर साधकों द्वारा भजन संध्या होगी। महाराज श्री ने आगे कहा कि हमें यह मनुष्य तन बड़े ही कष्टों के बाद मिला है। मनुष्य शरीर मिलने के बाद हमने पहले के योनियो में जो कर्म किये हैं, उन कर्मों का भोग मनुष्य रूपी शरीर में ही भोगना होगा। वही कर्मों के लेख को भगवान की सेवा, अर्चना करके काटना भी है। इसलिए मनुष्य योनि मिला है तो हमें सत्कर्म पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। मनुष्य के सतकर्म से यह निश्चित है कि देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद जरूर मिलेगा।