महापौरी चली गई.. लेकिन नौकरों का मोह नहीं छूटा… निगम के आपसी भ्रष्टाचार की अनोखी कहानी…

देवास। घपलों घोटालों और अफसरशाही का गढ़ कहे जाने वाले देवास के नगर निगम में इन दिनों एक बे-कुर्सी के मेहमान की जमकर चर्चाएं हो रही है। लंबे अरसे तक कुर्सी में बैठकर विभाग की आओ-भगत के आदी हो चुके नेताजी को भले ही जनता ने कुर्सी से उतार कर फेंक दिया हो लेकिन विभाग द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से नेताजी का मोह अभी तक बरकरार है। यही कारण है कि वर्तमान में गद्दी नशीन अपने वफादारों से सांठगांठ कर नेताजी विभागीय कर्मचारियों की कुछ फौज के जरिए अपने घरों का काम भी करवा रहे है।
विभागीय सूत्र बताते है कि एक लंबी पारी तक विभागीय कर्मचारियों से अपने घर की निजी चाकरी करवाने का नशा कुछ इस कदर सर चढ़ गया कि पद जाने के बाद भी वे निगम के कर्मचारियों से अपने घर पर ड्यूटी बजवा रहे है।लेकिन जैसे ही मामले में मीडिया की एंट्री हुई वैसे ही जिम्मेदारों ने मामले में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
पूरा मामला पूर्व महापौर से जुड़ा है। निर्दलीय पार्षद से महापौर का सफर तय करने वाले इन नेताजी की राजनैतिक कहानी बहुत ही लंबी है। यही कारण है कि इन्होने वर्षों तक सत्ता में रहकर राजसुख का भरपूर लुत्फ उठाया। लेकिन बीते दिनों परिवर्तन की बयार ने नेताजी के ऐशोआराम का घरौंदा उजाड़ दिया। चूंकि पूर्व महापौर वीआईपी ट्रीटमेंट के आदि हो चुके थे बोला तो यह भी जा रहा है कि विधायक के खास होने के लिहाज से निगम के विभाग में सेटिंग कर गैरकानूनी ढंग से उन्होंने निगम के कुछ कर्मचारियों को अपने घर की चाकरी पर लगा लिया। जिससे निगम के आपसी भष्टïाचार की अनोखी कहानी नवागत महापौर के सामने भी दिख रही है वही जानकारी के अनुसार वर्तमान महापौर के यह निगम के केवल दो ही कर्मचारी सेवा दे रहे है। ऐसा निगम सूत्रों के अनुसार बोला जा सकता है।
जानकारी के अनुसार इन कर्मचारियों की पेमेंट तो निगम करता है लेकिन ड्यूटी ये नेताजी के घर पर बजाते है। सूत्र बताते है कि झाडू करकट, डाईवर से लेकर अन्य सभी काम ये कर्मचारी ही करते है। इस पूरे मामले में आपसी गठजोड़ का खुलासा तब हुआ जब समाचार लाईन ने इस भर्राशाही को लेकर निगम आयुक्त से जबाब मांगा। इस दौरान खुद को बढी बारीकी से बचाते हुए आयुक्त महोदय ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। वे जल्द ही मामले की जांच कराएंगे।
बहरहाल ये पब्लिक है जनाब..ये सब जानती है। यह जानती है कि जांच की आड़ में कैसे बड़े बड़े खेल पचा लिए जाते है। कैसे ये लोग जनता के टेक्स से उपलब्ध व्यवस्थाओं को आपस में बांटकर रहीसी का जीवन जीते है। और जनता को नरक का जीवन जीने को मजबूर कर देते है। खैर नेताजी के एशोआराम की यह कहानी अब राजधानी के गलियारों में भी गूंजने लगी है। जनता की मांग है कि नगरीय प्रशासन मंत्री तत्काल ही इस मामले को संज्ञान में लें और देवास नगर निगम में पूर्व महापौर के यहां काम करने वाले निगम कर्मियों को तत्काल नगर निगम में अटैच करवाएं।


