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देवास के साथ भेदभाव क्यों…..? पं. रितेश त्रिपाठी के पत्र पर दिग्विजय सिंह ने दिखाई गंभीरता, मुख्यमंत्री को लिखा पत्र शासकीय मेडिकल कॉलेज की अनुशंसा

देवास। देवास में मेडिकल कॉलेज स्थापना को लेकर अब राजनीति ने नया मोड़ ले लिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पं. रितेश त्रिपाठी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लिखे गए पत्र पर तत्काल संज्ञान लेते हुए दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर देवास में शासकीय मेडिकल कॉलेज खोले जाने की अनुशंसा की है। यह मामला अब केवल स्वास्थ्य सुविधा का नहीं, बल्कि जनता के साथ न्याय और प्रशासनिक प्राथमिकताओं का भी बन चुका है। पं. त्रिपाठी ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा था कि यदि देवास में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज खोला गया, तो वह आमजन के शोषण का केन्द्र बन जाएगा। गरीब और मध्यमवर्गीय लोग ऐसे निजी मॉडल में इलाज नहीं करवा पाएंगे, जिससे जनस्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा पीपीपी मोड पर कॉलेज खोलने की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही दे दी गई है और उसमें देवास का नाम भी शामिल है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने पहले त्रिपाठी के अनुरोध पर जिला अस्पताल को पीपीपी मोड से अलग करने का निर्णय लिया, किंतु मेडिकल कॉलेज अब भी पीपीपी मोड पर ही प्रस्तावित है जो कि पूर्णत: अनुचित है।
पं. त्रिपाठी ने साफ सवाल उठाया
जब उज्जैन, रतलाम, विदिशा, शिवपुरी, खंडवा, नीमच और मंदसौर जैसे जिलों में शासकीय मेडिकल कॉलेज खोले जा सकते हैं, तो देवास को यह मूलभूत सुविधा पीपीपी मोड में क्यों दी जा रही है..? उन्होंने इसे देवास के साथ साफ-साफ भेदभाव बताया और कहा कि यह शहर पिछले कई वर्षों से शासकीय मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहा है। उन्होंने स्थानीय सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन किया कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देवास की जनता के हक के लिए मुख्यमंत्री से सीधी बात करें। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से इस विषय में अनुशंसा किया जाना न केवल विषय की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाण है कि कांग्रेस इस मुद्दे को सिरे से उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के मूड में है।

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