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देवास की स्वच्छता में देशभर में बजी डुगडुगी, लेकिन महापौर तस्वीर से गायब….! पति देव ने संभाली कमान, निगम पीआरओ ने निभाया भक्तिभाव, अब तो चर्चा यह भी महापौर कौन और पीआरओ किसके….?

देवास। स्वच्छता में देशभर में परचम लहराने वाला देवास अब लोकतंत्र की गंदगी और पद के पर्देदारी को लेकर सवालों में है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में जब देवास को फाइव स्टार रेटिंग के साथ राष्ट्रपति पुरस्कार मिला, तब पूरी शहर की जनता गौरवान्वित हो उठी। मगर इसी ऐतिहासिक उपलब्धि के जश्न की तस्वीरों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है महापौर कहां हैं…? और तस्वीरों में छाए हुए व्यक्ति कौन हैं?
तस्वीरें बयां कर रही हैं कि जब सफाई मित्रों, स्वास्थ्य अधिकारियों और दरोगाओं को सम्मानित किया जा रहा था, तब नगर की महापौर गीता दुर्गेश अग्रवाल तो गायब थीं, लेकिन उनके पति जो स्वयं विधायक प्रतिनिधि हैं हर फोटो में चमचमाते चेहरे के साथ मौजूद थे। फूलमाला और बधाई की सारी भूमिका उन्होंने निभाई। इतना ही नहीं, नगर निगम का जो आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया गया, उसमें भी महापौर का संदेश तो था, लेकिन तस्वीरें और मंच दोनों पर उनके पति जी काबिज नजर आए।
अब तो चर्चा यह भी महापौर कौन?
देवास की जनता खुलकर पूछ रही है महापौर की कुर्सी पर बैठी गीता अग्रवाल हैं या उनके पति? नगर निगम में चर्चा यह भी है कि जितनी भी बैठकों, आयोजनों, फैसलों में हस्तक्षेप होता है, उसमें महापौर कम और उनके पति ज्यादा सक्रिय रहते हैं। अब तो आमजन कहने लगे हैं महापौर गीता अग्रवाल के नाम का बोर्ड लगा है, लेकिन असल कमान उनके ‘परदे के पीछे वाले’ पति के हाथ में है!
निगम पीआरओ भी निकले ‘भक्ति भाव’ से लबरेज
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली भूमिका नगर निगम के पीआरओ की रही। उन्होंने प्रेस नोट तो महापौर के नाम से जारी किया, लेकिन उसमें महापौर का चेहरा नहीं दिखा सके, और न ही मंचीय उपस्थिति का जिक्र हुआ।
इसके उलट, हर तस्वीर में पति देव ही दिखाई दिए। वही जनता और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि निगम जनसंपर्क अधिकारी हैं या जनसंपर्क से पति देव का प्रचार अधिकारी? क्या यह महज संयोग है या सुनियोजित राजनीतिक प्रबंध…?
क्या यह लोकतंत्र है या ‘घरेलू सत्ता व्यवस्था’…?
एक तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, दूसरी तरफ देवास में महिला पद की आड़ में पति की परछाई हर निर्णय में हावी है। देवास में पीआरओ की कलम और कैमरा सिर्फ महापौर के पति की सेवा में लगा है। अगर महिला महापौर नहीं दिखेंगी, तो यह आरक्षण का अपमान है और जनता का भी। यह स्थिति लोकतंत्र का मजाक है, जहाँ पर्दे के पीछे रहकर एक व्यक्ति नगर की सत्ता पर काबिज हो रहा है, और मीडिया मैनेजमेंट करके उसे सामान्य दिखाने की कोशिश की जा रही है।

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