देवास में नगर निगम के कर्मचारियों ने खुद ही नियमों की धज्जियाँ उड़ाईं!संस्कार हॉस्पिटल के पीछे झाड़ू लगाने के बाद निगम कर्मियों ने जला डाला कचराअब सवाल, जब नियम तोडऩे वाले खुद जिम्मेदार हों तो करेगा कार्रवाई कौन…?

देवास। शहर स्वच्छता मिशन का दम भरने वाला नगर निगम खुद अपने नियमों का मज़ाक उड़ाता दिखाई दिया। कॉलोनी बाग स्थित संस्कार हॉस्पिटल के पीछे शनिवार को दोपहर में नगर निगम के सफाईकर्मियों ने झाड़ू लगाने के बाद एक जगह कचरा इका कर उसे आग के हवाले कर दिया। यह सब नज़ारा खुलेआम लोगों के सामने हुआ। जबकि निगम प्रशासन द्वारा आम नागरिकों को बार-बार हिदायत दी जाती है कि कोई भी व्यक्ति कचरा जलाए तो उस पर चालानी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन बड़ा सवाल अब यही उठता है कि जब खुद निगम के कर्मचारी ही शहर में कचरा जला रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा? सूत्रों के अनुसार, जिस स्थान पर यह कचरा जलाया गया, वह झोनल कार्यालय से कुछ ही कदमों की दूरी पर है। यानी जिम्मेदारों की नाक के नीचे ही कचरे से उठता धुआं नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा था। मौके पर वार्ड दरोगा भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कचरा जलाने की इस लापरवाही पर कोई रोक नहीं लगाई। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब निगम के कर्मचारी इस तरह से खुलेआम कचरा जलाते नजऱ आए हों। शहर के कई वार्डों में आए दिन सफाईकर्मी झाड़ू के बाद कचरा इका कर जला देते हैं, जिससे आसपास के रहवासी और मरीज जहरीले धुएं की चपेट में आ जाते हैं।
स्वच्छता के नाम पर ‘धुआं’ फैलाती व्यवस्था!
स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि देवास शहर में कई जगह कचरे के ढेर अब भी जलते देखे जा सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि शहर की छवि भी धूमिल हो रही है।
निगम की दोहरी नीति पर उठे सवाल
एक तरफ निगम के अधिकारी आम नागरिकों पर चालानी कार्यवाही करते हैं, तो दूसरी ओर खुद के कर्मचारी नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम आगजनी कर रहे हैं। शहरवासी अब यही पूछ रहे हैं कि क्या निगम के नियम केवल जनता के लिए ही बने हैं?
अब देखना होगा — कार्रवाई होगी या ‘धुआं’ में उड़ जाएगी जिम्मेदारी…
नगर निगम की यह करतूत कैमरे में भी कैद हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम कमिश्नर या स्वास्थ्य अमला इस मामले पर कोई सख्त कदम उठाते हैं या नहीं। अगर आम व्यक्ति यही गलती करता तो तत्काल चालान बनता, लेकिन जब गलती अपने ही कर्मचारियों से हो तो क्या कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह मामला ‘धुआं’ बनकर हवा में उड़ जाएगा…?

