भीषण गर्मी में देवास सब्ज़ी मंडी में टनों टमाटर सड़े फेंके गए, लाखों का नुकसान झेल रहे व्यापारी बोले—गर्मी और प्रशासन दोनों जिम्मेदार, देवास मंडी में टमाटर 15 से 20 रुपये किलो में भी नहीं बिक रहा

देवास। इस बार गर्मी ने किसानों की किस्मत को ऐसा झुलसाया कि टमाटर की फसल खेत से पहले ही मुरझा गई और मंडी पहुंचते-पहुंचते उसकी कीमत धूल में मिल गई। किसान जो टमाटर सर्दियों में 40 से 50 रुपये किलो बेच रहा था, अब उसी को 10 से 15 रुपये किलो में भी कोई पूछने वाला नहीं है। हालत ये हो गई है कि खेतों से ट्रैक्टर भर-भरकर टमाटर मंडियों में लाया जा रहा है, लेकिन वहां खरीदार गायब हैं। व्यापारी भी माल उठाने से कतरा रहे हैं क्योंकि बिक्री कम है और टमाटर दो दिन में सडक़र बदबू मारने लगता है। गर्मी ने टमाटर को समय से पहले पका दिया, और जब एक साथ हजारों किलो माल मंडियों में पहुंचा, तो सप्लाई इतनी बढ़ गई कि भाव औंधे मुंह गिर गए। थोक व्यापारी खरीद कर भी क्या करेंगे, जब ग्राहक लेने को तैयार नहीं। टनों टमाटर सडक़ किनारे फेंका जा रहा है, मवेशी खा रहे हैं और जो बच रहा है, वो सड़ कर मंडी का माहौल बिगाड़ रहा है। नगर निगम को रोज सफाई करनी पड़ रही है। कई किसानों ने तो अब खेत में ही ट्रैक्टर चलाकर फसल पलटना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि 3 महीने की मेहनत, बीज, पानी, खाद, मजदूरी और ढुलाई का खर्च जोड़ें तो लागत भी नहीं निकल पा रही। कुछ तो गुस्से में कह रहे हैं टमाटर नहीं, इस बार हमने नुकसान बोया है।
देवास जिले के बरोठा, सोंडवा, भौंरासा, हाटपिपल्या और कन्नौद क्षेत्र में टमाटर की बंपर खेती होती है। लेकिन इस बार हालात इतने बिगड़ गए हैं कि किसान फसल को लेकर गर्व नहीं, बल्कि गुस्से और मायूसी में जी रहा है। सरकार की तरफ से कोई खरीदी केंद्र नहीं, भंडारण की सुविधा नहीं और ना ही भाव नियंत्रण का कोई उपाय। वही दूसरी और फुटकर बाजारों में भी टमाटर 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा है लेकिन ग्राहक ज्यादा नहीं ले रहा। उसका तर्क है ले जाएं भी तो दो दिन में खराब हो जाएगा। यानी उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक, सबको नुकसान।


