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देवास में नगर निगम की गुंडागर्दी!रिटायर्ड फौजी के घर के सामने फेंका कचरा, विरोध करने पर जला डाला…..!

देवास। एक ओर जहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री स्वच्छ भारत मिशन की बात कर रहे हैं, वहीं देवास नगर निगम के कुछ कर्मचारी उस मिशन को ठेंगा दिखाते हुए शर्मनाक करतूतों को अंजाम दे रहे हैं। ताजा मामला रामनगर स्टेशन स्थित विंध्याचल स्कूल के पास महाराज तुकोजीराव पवार गार्डन के समीप सामने आया है, जहां नगर निगम के सफाईकर्मियों ने रिटायर्ड फौजी के घर के सामने जानबूझकर कचरा फेंक दिया। जब इस गंदगी और बदबू का विरोध किया गया, तो सफाई कर्मचारियों ने हदें पार करते हुए उसी कचरे को आग के हवाले कर दिया।
यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाना है।
स्वच्छता नियमों के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर कचरा जलाना स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है। लेकिन यहां तो सफाई कर्मचारियों ने खुद आगजनी कर प्रदूषण फैलाया, वो भी एक सेवानिवृत्त सैनिक के घर के सामने, जो जीवनभर देश की सेवा कर चुका है।
जब रहवासियों ने किया विरोध, तो मिला बेहूदा जवाब
स्थानीय निवासियों और रिटायर्ड सैनिक परिवार ने जब इस हरकत पर आपत्ति जताई और सफाई कर्मचारियों से सवाल किया, तो उन्होंने जवाब में बेशर्मी से कहा जाओ कमिश्नर से बात कर लो, हमारा कुछ नहीं होने वाला….!
क्या यही है नगर निगम की जवाबदेही
अब तो यही बोला जा सकता है कि क्या देवास में नियमों का कोई डर नहीं बचा अब तो नगर निगम का यह रवैया न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि आम नागरिकों के साथ खुलेआम दादागिरी का प्रतीक बनता जा रहा है। सवाल उठता है कि ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती यह फिर इन्हें किसी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
प्रशासन मौन, नागरिक परेशान
एक ओर देवास शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के दावे किए जाते हैं, दूसरी ओर शहर के संवेदनशील और सम्माननीय नागरिकों को ऐसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है, जहां सरकारी कर्मचारी खुद गंदगी फैलाकर आगजनी कर रहे हैं।
क्या देश की सेवा का ये सिला है — रिटायर्ड सैनिक परिवार का दर्द
रिटायर्ड फौजी ने कहा हमने तो सोचा था कि अब देश में कानून का राज है, लेकिन यहां तो हमारे घर के सामने कचरा फेंका जाता है, जलाया जाता है, और जब विरोध करते हैं तो धमकी दी जाती है। ये कैसा सिस्टम है…?
नगर निगम आयुक्त से जवाब तलब जरूरी
इस मामले में नगर निगम आयुक्त को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। ऐसे कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई हो और उनके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत स्नढ्ढक्र दर्ज होनी चाहिए। साथ ही स्थानीय पार्षद और जिम्मेदार अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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