देवास भाजपा में ‘पैलेस पॉलिटिक्स’ का जलवा बरकरार….!, चारों मंडलों की कार्यकारिणी घोषित विधायक पवार का वर्चस्व साफ

अमित बागलीकर

देवास। भारतीय जनता पार्टी के संगठन पर्व के तहत देवास के चारों मंडलों की ओर से एक बार फिर स्थानीय राजनीति में हलचल तेज करने की घोषणा की गई है। देर रात घोषणा की गई कि इन कार्यकर्ताओं ने जहां एक ओर जहां उद्योग जगत की दृष्टि से आगामी कल्पित की बुनियाद दौड़ है, वहीं दूसरी ओर इस घोषणा में कहा गया है कि पार्टी के बीच चल रही गुटबाजी और शक्ति संतुलन की बहस को भी हवा दी गई है। यह सहायक क्षेत्र संगठन के निर्देश, फ़्लोरिडा रायसिंह सेंधव के मोनार्स और विधायक श्रीमंत गायत्री राजे अधिकारी की सहमति के बाद घोषित किए गए, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि देवास भाजपा की उदार दिशा में कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका आज भी बनी हुई है।
कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में झलका पैलेस प्रभाव
घोषित नामों की सूची पर गौर करें तो यह साफ झलकता है कि अधिकांश नियुक्तियाँ उन कार्यकर्ताओं की हुई हैं, जो वर्षों से विधायक पवार के राजनीतिक गुट से जुड़े माने जाते रहे हैं। पैलेस पॉलिटिक्स के इस प्रभाव ने भाजपा की आंतरिक संरचना में एक बार फिर से विधायक गुट के वर्चस्व को रेखांकित कर दिया है। इसमें आश्चर्य की बात यह रही कि कार्यकारिणी में सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी के निकटस्थ कार्यकर्ताओं को अपेक्षित स्थान नहीं मिल पाया। इससे यह स्पष्ट संकेत गया है कि फिलहाल पार्टी की स्थानीय कमान विधायक गुट के पक्ष में झुकी हुई दिखाई दे रही है।
सांसद बनाम विधायक: पुराना विवाद, नई जमीन
देवास भाजपा में बीते कुछ समय से सांसद सोलंकी और विधायक पवार के बीच कथित राजनीतिक खींचतान किसी से छिपी नहीं है। यह विवाद कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थकों की पोस्ट और प्रतिक्रियाओं के रूप में भी उजागर हो चुका है। ऐसे में मंडल कार्यकारिणियों की यह घोषणा संगठनात्मक सत्ता संतुलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह विधायक पवार के पक्ष में एक निर्णायक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
गुटबाजी के बीच भाजपा की संगठनात्मक एकता पर सवाल
घोषणा के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक ओर जहाँ कुछ कार्यकर्ता इस निर्णय को संगठन की मजबूती और अनुशासन का प्रमाण मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में असंतोष की भी आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिन्हें इस बार दरकिनार किया गया है। यह असंतोष आगामी चुनावी रणनीतियों और कार्यकर्ताओं की सक्रियता को प्रभावित कर सकता है, जिससे भाजपा की संगठनात्मक एकता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।
विधायक की रणनीति के सामने अन्य गुट पृष्ठभूमि में
भाजपा के भीतर चाहे कितने भी गुट हों, परंतु देवास की ज़मीनी राजनीति में विधायक पवार की पकड़ और कार्यकर्ताओं पर उनका प्रभाव लगातार मजबूत होता जा रहा है। यही कारण है कि संगठनात्मक फैसलों में उनकी सहमति या पहल निर्णायक सिद्ध हो रही है। जहाँ एक ओर सांसद समर्थक कार्यकर्ताओं में निराशा व्याप्त है, वहीं विधायक गुट इस संरचना को पार्टी की कार्यसंस्कृति और अनुशासनबद्ध नीति के अनुरूप बता रहा है।
आने वाले राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है असर
घोषित कार्यकारिणियाँ केवल संगठनात्मक संरचना नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीतिक रणनीतियों की बुनियाद भी तय करेंगी। भविष्य में होने वाले नगर निगम, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में इन कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम रहने वाली है। यदि पार्टी के अंदर चल रही यह गुटीय रस्साकशी समय रहते सुलझ नहीं पाई, तो यह भाजपा की चुनावी रणनीतियों और जमीनी कार्य में बाधक बन सकती है। अब देखना यह होगा कि पार्टी नेतृत्व दोनों प्रमुख नेताओं सांसद सोलंकी और विधायक पवार के बीच समन्वय स्थापित करने में कितनी सफल होती है।

