जहाँ भाव, भक्ति और प्रेम का उफान होता है, वहीं ईश्वर स्वयं को प्रकट करते हैं

देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ जिला देवास के सेवा धर्म मिशन के भुक्तिप्रधान हेमेन्द्र निगम काकू ने बताया कि आनंद पूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रकृति की सुरम्य गोद में स्थित विश्व के प्राण केंद्र आनंद नगर में दिनांक 23 से 25 मई 2025 तक आयोजित भव्य धर्म महासम्मेलन के प्रथम दिवस का प्रथम सत्र आध्यात्मिक ऊर्जा और उल्लास से परिपूर्ण रहा। प्रातः सामूहिक साधना के उपरांत, पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय विश्वदेवानंद अवधूत जी के आगमन पर आनंद मार्ग सेवा दल के समर्पित स्वयंसेवकों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर गरिमामय स्वागत किया। हरि परिमंडल गोष्ठी (महिला विभाग) के अंतर्गत, आचार्या अवधूतिका आनंद आराधना के नेतृत्व में साधिका बहनों ने कौशिकी नृत्य किया व आचार्य सुष्मितानंद अवधूत के निर्देशन में 20 बाल साधकों ने जोशपूर्ण तांडव नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे सम्पूर्ण वातावरण ओजस्विता और आध्यात्मिकता से भर गया।देवास जिला भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर ने बताया कि इस महा सम्मेलन में देवास,इंदौर, उज्जैन, भोपाल,सीहोर, होशंगाबाद आदि जिलों से डॉ अशोक शर्मा, विकास दलवी,अरविंद सुगंधी,शिवसिंह ठाकुर,अशोक वर्मा हरीश भाटिया,आदि कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की। इस अवसर पर श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख ने कहा कि नाहं वसामि वैकुण्ठे, योगिनां हृदये न च। मद्भक्ता यत्र गायन्ति, तत्र तिष्ठामि नारद।इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नारायण (विष्णु) स्वयं कहते हैं- मैं न तो वैकुण्ठ (जहाँ कोई मानसिक कुंठा नहीं होती) में रहता हूँ, न ही योगियों के हृदय की शांति में। मैं वहाँ निवास करता हूँ, जहाँ मेरे भक्त प्रेमपूर्वक मेरा नाम गाते हैं। योग की निःशब्द शांति में स्पंदन नहीं होता, परंतु भक्ति और कीर्तन की ऊर्जावान लहरें ब्रह्मांड तक विस्तृत होती हैं। जहाँ भाव, भक्ति और प्रेम का उफान होता है, वहीं ईश्वर स्वयं को प्रकट करते हैं। उन्होंने नारद का अर्थ बताते हुए कहा कि जो नर (जल, जीवन, भक्ति) का द (दाता) है, वही सच्चा नारद है। अंत में, उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आवाहन किया कि वे भावपूर्ण कीर्तन एवं प्रभात संगीत के माध्यम से अपने हृदय को आत्मिक आनंद से भरें और समाज में भक्ति व सेवा का प्रकाश फैलाए।

