पत्रकारिता कार्यशाला में ललित उपमन्यु, ज्ञानेंद्र तिवारी और डॉ. वंदना जोशी ने पत्रकारों को दिए दिशा-निर्देश, संवाद, समर्पण और सामाजिक उत्तरदायित्व पर हुआ व्यापक विमर्श

अमित बागलीकर

देवास। देवास प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यशाला में जिले के तमाम पत्रकारों ने शिरकत की। कार्यशाला का उद्देश्य पत्रकारों की सामाजिक भूमिका, समर्पण भाव और वर्तमान समय में मीडिया के समक्ष उत्पन्न हो रही चुनौतियों पर संवाद स्थापित करना था। इस मौके पर देश-प्रदेश के नामचीन पत्रकारों और अकादमिक हस्तियों ने अपने विचार रखे और पत्रकारों को मार्गदर्शन प्रदान किया। कार्यशाला की शुरुआत जिले के वरिष्ठ पत्रकारों और अतिथियों के स्वागत से हुई। इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर आमंत्रित वक्ता के रूप में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग की प्रोफेसर डॉ. वंदना जोशी, वरिष्ठ पत्रकार ललित उपमन्यु और राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय ज्ञानेंद्र तिवारी उपस्थित रहे।
डॉ. वंदना जोशी का संबोधन एआई और डिजिटल खतरों पर किया सचेत
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. वंदना जोशी ने वर्तमान मीडिया परिदृश्य पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज का युग तकनीक से संचालित हो गया है और पत्रकारिता को इससे अछूता नहीं रखा जा सकता। लेकिन यह तकनीक जहां सुविधा दे रही है, वहीं एक बड़ा खतरा भी उत्पन्न कर रही है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका को पत्रकारों के लिए आशीर्वाद नहीं, बल्कि संभावित अभिशाप बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे युवा पीढ़ी बिना सुरक्षा उपायों के फोटो और जानकारियाँ साझा करती है, जिससे उनकी निजता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। लोकेशन ऑन रहना, सार्थक ऐप्स के माध्यम से उपस्थिति देना, यूट्यूब के जरिये अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा तकनीक का दुरुपयोग यह सब हमारे लिए चुनौती बन गया है।
ललित उपमन्यु का व्यावहारिक अनुभव पत्रकारिता को मैगी नहीं, दाल-बाटी बनाएं
वरिष्ठ पत्रकार ललित उपमन्यु ने अपने 40 वर्षों के अनुभव को साझा करते हुए आज की पत्रकारिता पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आज हम रिपोर्टिंग नहीं कर रहे हैं, हम केवल रिपोर्ट टाइप कर रहे हैं। खबरें अब सत्य पर आधारित न होकर वॉइस टाइपिंग की त्रुटियों पर आधारित हो गई हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे ज्वार की फसल की जगह जलेबी की फसल खबर में छप गई क्योंकि वॉइस टाइपिंग में पीछे से कोई जलेबी बोल गया था। वरिष्ठ पत्रकार उपमन्यु ने कहा पत्रकारिता अब भीड़ की पत्रकारिता हो गई है। हर कोई ब्रेकिंग न्यूज़ के पीछे भाग रहा है। जब तक आप भीड़ से अलग नहीं होंगे, आप पहचाने नहीं जाएंगे। पत्रकार को खबर के मूल में जाकर रिपोर्ट करनी चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से आह्वान किया कि खबर को मैगी की तरह न पकाएं, उसे दाल-बाटी नही तो कम से कम दाल चावल जैसा गाढ़ा और सटीक बनाएं।
ज्ञानेंद्र तिवारी का जमीनी अनुभव 22 राज्यों में रिपोर्टिंग, 3 बार जानलेवा हमला
कार्यशाला में डिजिटल पत्रकारिता और जमीनी रिपोर्टिंग के व्यापक अनुभव के साथ पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी ने पत्रकारिता के खतरों और मूल्यों पर खुलकर बात की। मैंने 22 राज्यों में रिपोर्टिंग की है। 14 राज्यों में ट्रकों से गया, खुद स्टोव पर खाना बनाकर रिपोर्टिंग की, तीन बार जानलेवा हमला झेला। लेकिन आज भी अपनी पत्नी के सामने मैं गुलाम ही हूं, यह कहकर उन्होंने माहौल को हल्का किया और फिर गंभीर विषय की ओर लौटते हुए कहा पत्रकार अब किसी न किसी सत्ता से डर कर रिपोर्टिंग कर रहा है कोई विधायक ,सासंद महापौर से, कोई पार्षद से, कोई किसी पार्टी से। हमें निष्पक्षता की ओर लौटना होगा। उन्होंने वर्तमान मीडिया संस्थानों पर भी सवाल खड़े किए बड़े मीडिया संस्थान अब सत्ता के अधीन हो गए हैं। जब मैंने बाबा बागेश्वर के चरण छुए, तो पत्रकारिता के एथिक्स पर सवाल उठे। लेकिन क्या पत्रकार का हर भावनात्मक क्षण अपराध है…? तिवारी ने पत्रकारों को आपसी समरसता बनाए रखने की सलाह दी और कहा— पत्रकार पत्रकारों को पत्रकारिता करने दें। आपस में लडऩा बंद करें। एकजुटता ही हमारी ताकत बनेगी।
कार्यशाला में उठे सवाल और दिए गए उत्तर
देवास जिले के पत्रकारों ने ज्ञानेंद्र तिवारी से कई प्रश्न किए, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अवसर, डिजिटल रिपोर्टिंग की विश्वसनीयता के प्रभाव, रिपोर्टिंग में सुरक्षा उपाय, और पत्रकारिता के भविष्य पर उनके सुझाव शामिल रहे। सभी सवालों के जवाब तिवारी ने सहजता और ईमानदारी से दिए, जिससे स्थानीय पत्रकारों को काफी मार्गदर्शन मिला।
संवाद और आत्ममंथन का मंच बनी कार्यशाला
देवास प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस कार्यशाला ने पत्रकारों को न केवल मार्गदर्शन दिया, बल्कि आत्ममंथन का अवसर भी प्रदान किया। वक्ताओं ने मीडिया की गिरती विश्वसनीयता, तकनीकी हस्तक्षेप, और मूल्य आधारित पत्रकारिता की अनिवार्यता पर गंभीर चर्चा की। कार्यशाला के अंत में सभी पत्रकारों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि पत्रकारिता केवल खबर देने का माध्यम नहीं, यह समाज को दिशा देने वाली शक्ति है, और इसकी मर्यादा बनाए रखना पत्रकारों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
वही कार्यक्रम के अत: में प्रेस क्लब द्वारा वरिष्ठ पत्रकारों और पूर्व अध्यक्षों को शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से पधारे पत्रकारों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान कर अभिनंदन किया गया। यह कार्यशाला पत्रकारिता की नब्ज पर केंद्रित एक आत्ममंथन का सशक्त मंच साबित हुई, जिसमें संवाद, समर्पण और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से पत्रकारों को प्रेरित किया गया।




