देवास की राजनीति में नया मोड़: हाटपिपल्या मंडल में ‘सेंधव वाद’ की धमक, विधायक मनोज चौधरी को संगठन ने दिखाई हकीकत…!

अमित बागलीकर

देवास। भारतीय जनता पार्टी के संगठन पर्व के अंतर्गत देवास जिले की हाटपिपल्या विधानसभा में नगर मंडल हाटपिपल्या के नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं एवं बधाइयां दी गईं। इस अवसर ने जिले की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। खास तौर पर हाटपिपल्या मंडल अध्यक्ष पद पर राजेंद्र सेंधव की नियुक्ति के बाद सियासी समीकरण तेजी से बदलते दिखाई दे रहे हैं। मंडल कार्यकारिणी के गठन में जहां हाटपिपल्या विधायक मनोज चौधरी की भूमिका नगण्य रही, वहीं उनके समर्थक कार्यकर्ताओं को भी निराशा का सामना करना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा संगठन में अब व्यक्तिगत प्रभाव से अधिक संगठनात्मक अनुशासन को महत्व दिया जा रहा है। भाजपा जिला अध्यक्ष रायसिंह सेंधव ने संगठनात्मक संतुलन साधते हुए ‘सेंधव वाद’ को मजबूती प्रदान की और सेंधव समाज के चार प्रमुख कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपीं। इस रणनीतिक कदम के जरिए सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए संगठन की पकड़ मजबूत करने की दिशा में ठोस पहल की गई है। जिलाध्यक्ष रायसिंह सेंधव ने कार्यकर्ताओं को संगठन की रीति-नीति का पाठ पढ़ाया और स्पष्ट संदेश दिया कि भाजपा में निर्णय संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही लिए जाएंगे। उन्होंने इशारों-इशारों में विधायक चौधरी को यह भी एहसास करा दिया कि चाहे व्यक्तिगत प्रभाव कितना भी हो, संगठनात्मक व्यवस्था में अंतिम निर्णय का अधिकार जिला अध्यक्ष और संगठन के पास रहेगा। इस शक्ति संतुलन ने साफ कर दिया कि अब हाटपिपल्या में व्यक्तिगत राजनीतिक एजेंडे नहीं चल पाएंगे। विधायक मनोज चौधरी को भी संगठन के निर्देशों के साथ तालमेल बैठाना होगा, अन्यथा उन्हें भविष्य में राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अब जिले भर की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विधायक मनोज चौधरी इस नए शक्ति संतुलन को कितनी सहजता से स्वीकार करते हैं या फिर संगठन के भीतर कोई नई राजनीतिक लड़ाई छेड़ने का प्रयास करते हैं। जिस तरह से देवास जिले में भाजपा की आंतरिक राजनीति में बदलाव की बयार चली है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में यहां सियासी पारा और चढ़ने वाला है।
