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माताएं बच्चों की परम सद्गुरु बनकर अच्छे संस्कार डालें- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी, ईश्वर का ही दूसरा रूप है मां, जो भीतर से बहुत सशक्त और कोमल होती है- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। मां ब्रह्मा के समान सांसारिक जगत की रचनाकार होती है। माताएं अपने बच्चों की परम सद्गुरु बनकर अच्छे संस्कार डालें। नारी शक्ति अध्यात्म के मार्ग पर चलकर जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की रोशनी को जागृत करें। प्रत्येक माता दैनिक कार्य के साथ-साथ थोड़ा समय धर्म व अध्यात्म के लिए भी निकाले, तभी बच्चे संस्कारित होंगे। 

यह विचार संस्था की मुख्य जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कालानी बाग सेंटर पर मातृत्व दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान समारोह में प्रकट किए। दीदी ने कहा, कि मां ईश्वरीय वरदान है। ईश्वर का ही दूसरा रूप है। मां भीतर से बहुत ही सशक्त और कोमल होती है। ईश्वर ने अपने ही स्वरुप में मां का स्वरूप बनाया है। बच्चों के लिए छत्रछाया के रूप में उस मां को ही वहां रखा है। जिससे हर आत्मा को हर समय ईश्वरीय शक्ति का सानिध्य प्राप्त हो। जब हम प्रार्थना करते हैं तो कहते हैं कि मात-पिता तुम मेरे। अर्थात परमात्मा ही हमारे माता-पिता है। हर मां के ह्रदय में दया भाव, सुख देने और सहयोग की कामना कूट-कूटकर भरी होती है। परमात्मा से अपना कनेक्शन जोड़े जिससे कि हम खुशहाल हो जाए। दीदी द्वारा माताओं को श्रीफल व चुनरी ओढ़ाकर सम्मान किया गया। अपुलश्री दीदी, ज्योति दीदी, रत्नप्रभा बहन, सफला बहन, लता बहन,  रमा बहन, शारदा माता,रीना बहन, शकुंतला माता, सुमित्रा बहन, छाया बहन, कोमल बहन, सुनीता बहन मनीषा ठाकरे, पूर्णिमा बहन, कविता बहन, मीना बहन, जयोत्सना बहन, राधा माता, कमला माता, हेमा वर्मा बहन ने मातृत्व दिवस पर उनका सम्मान किया।

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