धर्म पर हो विपत्ति, तो बलिदान कर दो शरीर संपत्ति- आचार्य जिनसुंदर सुरीजी13 मार्च को वीरमणि पूजा अनुष्ठान का होगा आयोेजन

देवास। शत्रुंजय पालीताणा महातीर्थ पर अनेकों बार आक्रांताओं एवं आक्रमणकारियों ने विध्वंसक हमले किये है। कई बार इस तीर्थ कोे नेस्तानाबूत करने की कोशिशें की गई है। लेकिन हर बार हमारे जिन शासन के जाबांज अनुयायियों ने अपने प्राणों की आहूति तक देकर इस तीर्थ की रक्षा की है। आज हम शत्रुंजय पालीताणा तीर्थ की जो उन्नति, प्रगति एवं जहो जलाली देख रहे हैं। उसकी नींव में कई युवाओं एवं युवतियों के प्राण समाये हुए हैं। आज हमें हमारे उन पूर्वजों को गर्व से नमन करना चाहिये जिनके बलिदान की बदौलत यह तीर्थ अपने पूरे शबाब के साथ खड़ा हुआ है। हमें इन शहीदों से यह सीख लेना चाहिये कि यदि धर्म, तीर्थ, प्रभु एवं गुरू पर किसी भी प्रकार की आपत्ति या विपत्ति आती है तो हमें हमारे प्राणों एवं संपत्ति का बलिदान कर के धर्म की रक्षा करना चाहिये। जो धर्म की रक्षा करता है निश्चित तौर पर धर्म उसकी सुुरक्षा करता है। प्रभु हमें समाधि, शुद्धि और सत्व तीनों प्रदान करता है। यह बात श्री शत्रुंजय महातीर्थ की फागणी तेरस यात्रा एवं भाव यात्रा के दौरान पूज्य आचार्य जिनसुंदर सुरीश्वरजी एवं धर्मबोधि सुरीश्वरजी ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर पर कही। आपने कहा कि हमें संसार और संसार के पाप प्यारे हैं, परलोक की चिंता नहीं है। हम संसार को सजाते हैं लेकिन अपने आगामी भव को नहीं सजाते। हमें कुछ ऐसा कर गुजरना है कि हमारा यह लोक और परलोक दोनों ही सुधर जावे। भाव यात्रा के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं नेे गुरू के मार्गदर्शन में शत्रुंजय महातीर्थ की डिजिटल भाव यात्रा की। प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि 13 मार्च को 18 वर्ष तक के बच्चों को संस्कार देने के लिये वीरमणि पूजा अनुष्ठान का आयोजन सुबह 7 से 9 बजे तक होगा। तत्पश्चात प्रवचन श्रृंखला आयोजित होगी। 14 मार्च को पूर्णिमा दिवस पर सुबह 7 बजे प्रभु का शक्रस्तव महाअभिषेक पश्चात भोमियाजी संग रंग गुलाल होली एवं समाज के दिवंगतजनों के परिवारों पर शोक निवारण रंग डाला जाएगा।

