धूनी की आंच में तप रहा संतोषनाथ जी का तप, आशीर्वाद लेने पहुंचे मंत्री कैलाश विजयवर्गीयधूनी संस्थान को संवारने का दिया भरोसा, बोले— सरकार से जो बन सकेगा, वह किया जाएगा

अमित बागलीकर

देवास। धर्म और तप की भूमि देवास एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठी जब नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय श्री शिलानाथ धुनी संस्थान पहुंचे। यहां हरियाणा, सुलतानपुर निवासी तपस्वी संत संतोषनाथ जी की 41 दिवसीय अग्नि तपस्या जारी है। तप की इस परम साधना के बीच मंत्री विजयवर्गीय ने ना केवल संत से आशीर्वाद लिया, बल्कि संस्थान के हालातों को लेकर सरकारी सहयोग का भरोसा भी दिलाया।
संत संतोषनाथ जी इन दिनों पंचधुनी रमाकर 21 हजार कंडों की अग्नि तपस्या कर रहे हैं। वह गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य हैं और शीलनाथ महाराज के परम भक्त। तपस्वी संत मल्हार धूनी पर दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी निर्बाध साधना में लीन हैं। उनकी इस कठिन और विरल तपस्या की चर्चा न केवल मध्यप्रदेश बल्कि हरियाणा और उत्तर भारत के संत समाज में भी हो रही है। रविवार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जैसे ही शिलानाथ धुनी पर पहुंचे, उन्होंने सबसे पहले श्री शीलनाथ महाराज के दर्शन व पूजन कर अपनी आस्था प्रकट की। इसके पश्चात वे संत संतोषनाथ जी से मिले और उन्हें नमन कर आशीर्वाद लिया।
संत से हुई विस्तृत चर्चा
मंत्री विजयवर्गीय ने संत से संस्थान की वर्तमान स्थिति और साधकों की आवश्यकताओं को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इस पावन धूनी पर आया। यह स्थान केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि तपस्वियों की आत्मा का केंद्र है। यहां की धूप में भी भक्ति का स्पर्श है। मंत्री विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि वे इस संस्थान में पहली बार आए हैं और यहां के वातावरण ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने यह भी बताया कि मुझे जानकारी मिली है कि यहां दो राजाओं की पाती रही है, जो इसे ऐतिहासिक महत्व भी प्रदान करती है। सरकार की ओर से जो भी सहयोग बन सकेगा, वह सुनिश्चित रूप से किया जाएगा।
संस्थान की जर्जरता पर चिंता
मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि संस्थान का एक हिस्सा अत्यंत विकसित और भव्य है, लेकिन जहां संतों की साधना होती रही है, वह भाग जर्जर स्थिति में है। उसे संरक्षित किया जाना चाहिए। यह धरोहर केवल एक धर्मस्थल नहीं बल्कि संस्कृति की आत्मा है।
कट्टर समर्थक सुमेरसिंह दरबार के निवास पंहुचें
धूनी दर्शन और संत आशीर्वाद के उपरांत मंत्री विजयवर्गीय अपने कट्टर समर्थक सुमेरसिंह दरबार के निवास भी पहुँचे। यहां उन्होंने दरबार परिवार के साथ आत्मीयता से भेंट की और हालचाल जाना। सुमेरसिंह दरबार लंबे समय से सामाजिक सेवा और संत परंपरा से जुड़े हुए हैं। मंत्री की यह भेंट स्थानीय राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
श्री शिलानाथ धूनी की विशेषताएं
यह संस्थान मध्यप्रदेश में नाथ संप्रदाय की प्रमुख साधना स्थली है।
यहां संत शीलनाथ महाराज के चरण पड़े हैं।
वर्तमान में संत संतोषनाथ जी की 41 दिन की अग्नि तपस्या चल रही है।
यहां प्रति वर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शन और तप अनुभव हेतु आते हैं।
संत संतोषनाथ जी की तपस्या
तप में 21,000 कंडों की अग्नि के बीच बैठकर साधना।
पूर्ण संयम, मौन, और व्रत में लीन।
तापमान और मौसम की परवाह किए बिना दिन-रात भक्ति में तल्लीन।
यह दौरा जहां एक ओर आध्यात्मिक संबल से जुड़ा रहा, वहीं राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। मंत्री विजयवर्गीय का यह कदम धर्म और शासन के समन्वय का प्रतीक बनकर उभरा है। स्थानीय जनमानस को अब उम्मीद है कि धूनी संस्थान को सरकार से जरूरी सहायता और संरक्षण मिलेगा ताकि यह स्थल भविष्य की पीढिय़ों के लिए भी तप और साधना का प्रेरणा स्रोत बना रहे।

